वक़्त तू क्यों इतना विरोधी है ?
करता है सांठ गाँठ हवा के हर झोंके से
कि बन थपेड़ा वह मुझे चोट पहुँचाये ।
जिन्दगी के हर मोड़ पर
तू मुझे कठिन राहें दिखाए
वक़्त तू क्यों इतना विरोधी है ?
August 08, 1993
Wonders of an enchanting journey called life... (Select English or Hindi from the categories on the right column to read posts in a language of your choice)
Sunday, June 10, 2007
Wait
वो काफिले सजाते रहे
और हम करते रहे इन्तजार
पर अफ़सोस - वक़्त को न थी किसी की परवाह
वो तो दूरियां और बढ़ा गया ।
March 05, 1993
और हम करते रहे इन्तजार
पर अफ़सोस - वक़्त को न थी किसी की परवाह
वो तो दूरियां और बढ़ा गया ।
March 05, 1993
O Destiny !
पथराई आँखें - शून्य तकतीं
मन में अबुझ प्यास
सूखे ओंठ
ये तेज हवाएं
लड़खड़ाते कदम
अनजान राहें
अनजान चेहरे
पराए से
नियति ! मैंने ऐसा क्या बिगाड़ा था ?
जो इस मोड़ पर ले आयी !
March 04, 1993
मन में अबुझ प्यास
सूखे ओंठ
ये तेज हवाएं
लड़खड़ाते कदम
अनजान राहें
अनजान चेहरे
पराए से
नियति ! मैंने ऐसा क्या बिगाड़ा था ?
जो इस मोड़ पर ले आयी !
March 04, 1993
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