Composed on Oct 22, 1994
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अचानक
याद आ गए
बिछुड़े हुए पल
और ठहर गया मैं
राह चलते चलते।
टटोलने लगा
अपनी
पुरानी गठरी।
चारों तरफ
हो गए
इकट्ठे लोग
और पूछने लगे
कि -
यह क्या है ?
वह क्या है ?
पर मैं कुछ न बोला
और रख दीं
सारी चीजें
झाड़ पोंछ कर
वापस।
आख़िर
मुझे
आगे भी तो जाना है |