सभी कहते
"चले चलो
जब तक चलें कदम "
पर अब नहीं मानता मन ।
क्यों न रूक जाऊँ
अभी
यहीं ।
नहीं करता
आगे चलने को अब मन ।
बहुत हुआ
करे बहुत झगड़े
भागे फिरे
यहाँ से वहाँ
ले कर मन में
जाने कितनी प्यास ।
अब बस तो बस ।
नजर भर कर देख लूं
अपने चारों ओर
जी भर कर लूं गहरी साँसे
और सुनूं उन साँसों की आवाजें
ठहर कर
यहीं
बस यहीं ।
April 02, 1994