दुनिया में
हर रोज
जब
मैं उठता हूँ
हर सुबह
तो
देखता हूँ कि
सारे के सारे लोग
लगे हैं
इस तैयारी मॆं
कि
शाम के
आते आते
इतना शोर पैदा किया जाये
कि
भर जाये
मनों का खालीपन
और
मिट जाएँ
सन्नाटे ।
पर अफ़सोस
न जाने क्यों
हर शाम
सूरज डूबने के साथ
सन्नाटे और गहरे हो जाते हैं
खालीपन और बढ जाता है ।
और फिर
जब मैं उठता हूँ
सुबह
तो
देखता हूँ कि
सारे के सारे लोग
लगे हैं
उसी तैयारी मॆं ।
November 23, 1993