Sunday, February 17, 2008

आओ खड़े हो जाओ साथ ...


आओ खड़े हो जाओ साथ ...
तुम भी अकेले हो और मैं भी
ऐसे और भी हैं ...
सुना है चौरासी करोड़ हैं
जो गरीब हैं
इस देश में जिसे भारत भी कहते हैं ।

मैं और तुम

या तो हम हैं
मजबूर, गरीब, अत्याचार के शिकार... ।

या फिर हम हैं
असंतुष्ट, थके हुए - अन्याय और अव्यवस्था से ।

इस तरह से या उस तरह से ।
सुना है हमारी कुल संख्या
हो सकती है चौरासी करोड़ ... ।

आओ खड़े हो जाओ साथ ...
क्योंकि साथ खड़े होने पर
बदल सकती है बात ।

संख्या हमारी ज्यादा है
हाथों में ताकत भी है
जनतंत्र चलता हमसे है ।

आओ खड़े हो जाओ साथ ...

Reference:Sengupta, Arjun, et al. ,"Report on Conditions of Work and Promotion of Livelihoods in the Unorganized Sector",National Commission for Enterprises in the Unorganized Sector, New Delhi, India, 2007