Sunday, July 18, 2010

बदलता मौसम और उम्मीद

आखिर बारिस आ ही गयी। पर खुल कर नहीं आई । फेट तूफान का धक्का ऐसा लगा कि कुछ छ्लक सी गई । कुछ बिखर सी गई । कहते हैं कि अभी उम्मीद है कि फिर बादल ज़ोर से घिरेंगे । और झम झम कर बरसेंगे । पर कब, यह कोई नहीं बताता । उम्मीद ही है बस ।