Sunday, June 10, 2007

O Destiny !

पथराई आँखें - शून्य तकतीं
मन में अबुझ प्यास
सूखे ओंठ
ये तेज हवाएं
लड़खड़ाते कदम
अनजान राहें
अनजान चेहरे
पराए से
नियति ! मैंने ऐसा क्या बिगाड़ा था ?
जो इस मोड़ पर ले आयी !



March 04, 1993